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तेरा संगी कोई नहीं

मिथिलेश्वर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :174
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12298
आईएसबीएन :9789386863942

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कृषक जीवन की बुनियादी संरचना के तहत कृषि के निरंतर उपेक्षित, अभावव्यस्त और परेशानीपूर्ण बनते जाने के कारणों का राईं-रक्स उजागर करता यह उपन्यास कृषक जीवन, कृषक समाज और कृषि समस्या का जीवंत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। खेत मज़दूरों को ही किसान मान कर उन पर आधारित रचनाओं से पृथक एक मध्यवर्गीय किसान की त्रासद कथा के माध्यम से इस उपन्यास ने सही अर्थों में प्रतिनिधि कृषक चरित्र तथा कृषि जीवन से सम्बन्धित वास्तविक समस्याओं को न सिर्फ चिन्हित किया है, बल्कि उन्हें जानने-समझने और एक सही अंजाम तक पहुँचाने के लिए सार्थक जमीन भी मुहैया करायी है। ‘तैरा संगी कोई नहीं’ कृषक जीवन, कृषक समाज और कृषि से सम्बन्धित समस्याओं की सूक्ष्मता, बेबाकी और जमीनी सार पर पड़ताल करने वाला विलक्षण उपवास हैं।

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